बबुरी की बहादुर ‘बहू’, पति की मौत के बाद खुद ही किया अंतिम संस्कार, दी मुग्खानि

एक व्यक्ति की लंबी बीमारी के चलते हास्पीटल में मौत हो जाती है। मौत के बाद परिवार मे किसी और के न होने के कारण उसके पत्नी के सामने पति के अंत्येष्टि की समस्या आ खडी होती है। इसके बाद वह जो करती है, वो एक साधारण स्त्री के बस की बात नही होती। ये किसी हिन्दी फिल्म की कहानी नही है, बल्कि रविवार को बबुरी कस्बे में घटी एक सच्ची दास्तान है। 
लम्बी बीमारी के चलते पिछले सप्ताह कस्बा निवासी संतोष जायसवाल (40) की हालत बिगड़ गयी। जिसपर जिला पंचायत सदस्य सूर्यमुनि तिवारी ने उसे पण्डित कमलापति त्रिपाठी अस्पताल चंदौली में भर्ती कराया था। परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के न होने के कारण उसकी पत्नी गुडिया ही पति की देखभाल करती थी। आर्थिक तंगी और पति की गम्भीर बिमारी से जूझते हुए किसी तरह गुडिया पति और बेटी रोशनी (3) का पेट पाल रही थी। 
रविवार की सुबह जिन्दगी की जंग लड़ते हुए संतोष हार गया और उसकी मौत हो गयी, पता चलते ही गुडिया पछाड़ खा कर गिर पड़ी। लेकिन थोडी ही देर बाद उसने किसी बहादुर स्त्री की भाँति अपने आप को सम्भाल लिया और बेटी को संभालते हुए पति की अंत्येष्टि के लिए सहायता के लिए प्रयत्न करना शुरू कर दिया। चंदा एकत्रित कर दाह संस्कार का सामान खरीद कर पति के शव को लेकर अकेले निकल पड़ी।
फोन से संतोष के मौत होने की जानकारी होते ही जिला पंचायत सदस्य सूर्यमुनि तिवारी ने आर्थिक मदद कर दाह संस्कार का सारा प्रबंध किया। इस कार्य में मुगलसराय पड़ाव क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य शिवशंकर पटेल संतोष मौर्य व देव मौर्य ने घाट पर पहुंचकर भी आर्थिक मदद की। गुडिया अस्पताल से शव को लेकर पड़ाव स्थित अवधूत भगवान राम घाट वाराणसी पहुंची। जहां उसने मुखाग्नि दे कर अपने पति का दाह संस्कार कर दिया। धार्मिक परम्पराओ के विपरीत एक स्त्री को मुखाग्नि देते देख लोगों की आंखे भर आईं ।